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दर्पण कथा
दर्पण का एक किस्सा दोहराना है
लगता है जैसे कोई रिश्ता पुराना है
वो दिखता तो अकेला है
पर साथ हमेशा रहता है
ख़ुशी मेरी होती है तो वो मुस्कुराता है
हर गिरते आंसू में साथ मेरा निभाता है
गुस्सा मेरा देख कर मन उसका भी दुख जाता है
मेरे आँखों का खलीपन सिर्फ उसे नज़र आता है
भूलना चाहु तो...