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शीर्षक - चाहा मैंने।
शीर्षक - चाहा मैंने।

हर दफ़ा बताना चाहा मैंने।
गले से जा लगाना चाहा मैंने।
तू समझी नहीं इशारा कोई,
इशारे में समझाना चाहा मैंने।

आज जा रही दूर दिल रो रहा,
रिश्ता आगे बढ़ाना चाहा मैंने।
क़ाश भाँप पाती मेरे दिल को,
जो हमेशा दिखाना चाहा मैंने।

तेरे जाने से काँप सा रहा हूँ,
रोकने का बहाना चाहा मैंने।
तू देखती रही दोस्त मुझमें,
पर तुझे प्रेम बनाना चाहा मैंने।

जा ख़ुश रह रह जिसके साथ,
हर ख़ुशियाँ लुटाना चाहा मैंने।
जिसको नहीं दिखा मेरा प्यार,
उसी को क्यूँ पाना चाहा मैंने।

बड़ी अजीब सी दासताँ मेरी,
चाँद ज़मी पे लाना चाहा मैंने।
टूटकर बिखर गया हर ख़्वाब,
जो भी ख़्वाब खिलाना चाहा मैंने।

ख़ामोश ज़ुबाँ की ख़ामोशी,
सिर्फ़ तुझी को सुनाना चाहा मैंने।
माफ़ कर देना मेरी ग़लती को,
तेरे इजाज़त बग़ैर माना चाहा मैंने।

©Musickingrk