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अन्नदाता पौरुष
बंजर जमीन को सींच,
लाए थे वो अन्न बीज
फिर न कभी पत्थर पे
कुदाल चला,लहलहा
उठी गेहूं की फसल
मिटने लगी भूख,होने
लगा तब गुज़र बसर,
आसमान थी नीली
खेतों को जिसने कर
दिया था हराभरा
आई हरित क्रांति जब
देश में, तब से फिर न
कभी अकाल पड़ा।
© Anvit Kumar
यह पंक्ति समर्पित है भारत में हरित क्रांति को जीवन्त रूप देने वाले कृषि वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ• एस • स्वामीनाथन को जो की अब इस धरा पर नहीं रहे मगर उनकी स्मृतियां रहेंगी उनके योगदान मानव जीवन के लिए अविष्मरणीय रहेंगे। 🌾😌🌸🙏🏻
Pic Credit: Open Magzine
#food #love #nature #writco #writcoquotes
लाए थे वो अन्न बीज
फिर न कभी पत्थर पे
कुदाल चला,लहलहा
उठी गेहूं की फसल
मिटने लगी भूख,होने
लगा तब गुज़र बसर,
आसमान थी नीली
खेतों को जिसने कर
दिया था हराभरा
आई हरित क्रांति जब
देश में, तब से फिर न
कभी अकाल पड़ा।
© Anvit Kumar
यह पंक्ति समर्पित है भारत में हरित क्रांति को जीवन्त रूप देने वाले कृषि वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ• एस • स्वामीनाथन को जो की अब इस धरा पर नहीं रहे मगर उनकी स्मृतियां रहेंगी उनके योगदान मानव जीवन के लिए अविष्मरणीय रहेंगे। 🌾😌🌸🙏🏻
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