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नित्य धर्म=रामथ्य कर्म
मिनि

सूर्य निहर चन्द्र प्रकार।
शोबा अतुल्य अवर्ण जिहर।
कृपा ज्ञान कर्तव्य वीर
आत्म अनवेष्ण शांती शहीर ।।






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