मुसाफ़िर
गुज़र कर भी जो ना गुज़रे
दिल में ऐसे ठहर गया है
ख़ुद ना रुके कोई रोक भी ना सके
हर ग़म से गुज़र आगे निकल गया है
...
दिल में ऐसे ठहर गया है
ख़ुद ना रुके कोई रोक भी ना सके
हर ग़म से गुज़र आगे निकल गया है
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