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kahani sabki
एक औऱत की कहानी
ये औऱत है साहब हर दुख मे मुस्कुराती है कभी पति से कभी ससुराल से फटकार खाती है सबका ख्याल रखकर भी हर जगह सुनती जाती है ये औऱत है साहब हर गम मे मुस्कुराती है




Ye सबका गम समझती है अपना गम छिपाती है सबकी ख़ुशी के लिए हर समझोता करते जाती है ये औऱत है साहब हर जगह फटकार दी जाती है



Mard के सम्मान को लगे ठेस अगर उसे बचाने अपनों से भी लड़ जाती है उसकी हर ख़ुशी के लिए सबके सामने झुक जाती है ये औऱत है साहब हर दुख मे साथ निभाती है