एक मासूम सा दिल
एक मासूम सा दिल किसी को याद किया करता है
भीड़ में रहने के बावजूद अकेला सा महसूस करता है
उसकी याद में कभी कुछ लिखा करता है
हाँ मुस्कुराकर लोगों से बातें किया करता है
आँखों में आँसू कुछ इस तरह समाए रखता है
झलक न जाए कभी इसलिए चश्मा लगाया करता है
उसकी हर याद को कुछ इस तरह संजोया है उसने
कि हर लम्हे को बार बार फिर से जीया है उसने
कोई जान न ले उसके दिल का हाल इसलिय दुनियां से नजरें छिपाया करता है
कुछ इस तरह मन में यादें बसाए रखता है
कि अपने नाम के आगे उसका नाम लगाया करता है
एक मासूम सा दिल किसीको याद किया करता है
----------हर्षिता अग्रवाल
भीड़ में रहने के बावजूद अकेला सा महसूस करता है
उसकी याद में कभी कुछ लिखा करता है
हाँ मुस्कुराकर लोगों से बातें किया करता है
आँखों में आँसू कुछ इस तरह समाए रखता है
झलक न जाए कभी इसलिए चश्मा लगाया करता है
उसकी हर याद को कुछ इस तरह संजोया है उसने
कि हर लम्हे को बार बार फिर से जीया है उसने
कोई जान न ले उसके दिल का हाल इसलिय दुनियां से नजरें छिपाया करता है
कुछ इस तरह मन में यादें बसाए रखता है
कि अपने नाम के आगे उसका नाम लगाया करता है
एक मासूम सा दिल किसीको याद किया करता है
----------हर्षिता अग्रवाल