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#संकल्प
जीवन पथ अब सुगम मिले या अवरोधों से भरा मिले!
स्वार्थपूर्ण दुनिया में हर सम्बन्ध कहाँ से खरा मिले!!
कठिन कर्म वेदी पर तप कर अब मैं कुन्दन सा निखरुँगा!
सभी दुखों को गरल बना कर मैं भी अब विषपान करुँगा...
धरती माँ का गोद बिछौना चादर मेरा नील गगन हो!
आदर और मान के प्रति अब सहज अनासक्त ये मन हो!!
मैं शिवत्व के श्रेष्ठ शुभप्रद संकल्पों को नित्य वरूँगा!
सभी दुखों को गरल बनाकर मैं भी अब विषपान करुँगा....
घटा घनेरी दुःख की चाहे पग-पग पर मुझको ललकारे!
या फिर कंटक सभी राह के विषधर के जैसे फुँफकारें!!
भष्म बनाकर सभी अपेक्षाओं को अपने माथ धरूँगा!
सभी दुखों को गरल बनाकर मैं भी अब विषपान करुँगा...
#जुगनू
स्वार्थपूर्ण दुनिया में हर सम्बन्ध कहाँ से खरा मिले!!
कठिन कर्म वेदी पर तप कर अब मैं कुन्दन सा निखरुँगा!
सभी दुखों को गरल बना कर मैं भी अब विषपान करुँगा...
धरती माँ का गोद बिछौना चादर मेरा नील गगन हो!
आदर और मान के प्रति अब सहज अनासक्त ये मन हो!!
मैं शिवत्व के श्रेष्ठ शुभप्रद संकल्पों को नित्य वरूँगा!
सभी दुखों को गरल बनाकर मैं भी अब विषपान करुँगा....
घटा घनेरी दुःख की चाहे पग-पग पर मुझको ललकारे!
या फिर कंटक सभी राह के विषधर के जैसे फुँफकारें!!
भष्म बनाकर सभी अपेक्षाओं को अपने माथ धरूँगा!
सभी दुखों को गरल बनाकर मैं भी अब विषपान करुँगा...
#जुगनू
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