...

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अंत है तन्हा तन्हा।।
सब छूट जाते हैं
अंत में तन्हा रह जाता है

घोंसला बनाया था
अरमानों से सजाया था
वक्त ने दिया बना बीहर
रात में काट खाता है
सब छूट जाते हैं
अंत में तन्हा रह जाता है।।।।

यहीं महफिलें थी जमती
मस्ती के दौर चलते थे
यहीं बनता था मै घोड़ा
बच्चे मेरी पीठ चढ़ते थे
ये सूना सूना सा घर
अब मुझको चिढ़ाता है
सब छूट जाते हैं
अंत में तन्हा रह जाता है।।।

यहीं सपने हुए जवां
यहीं से रास्ता निकला
कोई महानगर में है बसा
तो कोई विदेश में सेटल हुआ
सब की प्यारी निशानियों से
ये घर बस जगमगाता है
सब छूट जाते हैं
अंत में तन्हा रह जाता है।।।।

अजीब दस्तूर दुनिया का
क्या कसूर दुनिया का
हमारी ताकत जब रहती
घर आबाद रहता है
जब हम हो जाते हैं जर्जर
कोई न पास आता है
कहने को बहुत अपने हैं
ना कोई काम आता है
सब छूट जाते हैं
अंत में तन्हा रह जाता है
© शब्द सारथी