...

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मै महाकाल हूं....
मेरा कोई आकार नहीं, मैं निराकार हूँ मैं देव नहीं,मैं तो महाँकाल हूँ।

पाप का मैं संहार हूं, पुण्य का मैं उपहार हूँ

मैं एक नहीं चारों दिशाओं में विद्यमान हूँ,
मैं देव नहीं, मैं सर्वशक्तिमान हूँ।

धर्म का मैं आदि अधर्म का मैं अंत हूँ,
मेरा न कोई अंत है मै तो अंनत हूँ।

कर्म का मैं फल ,कुकर्म का मैं दण्ड हूँ,
मैं वही कालभैरव शिव का खण्ड हूँ।

मैं हिन्दू की गीता, मुसलमानों की कुरान हूँ,
मैं सुबह की आरती, शाम की अजॉन हूँ।

मैं मानव का पतन,
या उत्थान हूँ,
मैं सृष्टि का दाता सर्वशक्तिमान हूँ।।
मै महाकाल हूं,
मै महाकाल हूं।
( हर हर महादेव
जय शिव शंकर)