...

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कटाक्ष कविता
ना करो गुटबाजी; जो पड़े किसी की तरक्की पे भारी,
कौन हो तुम;जो जताते हो शिखर की ठेकेदारी ,
यहाँ सिर्फ काबिल ही छुएंगे तुंग शिखरों को ,
कर लो तुम्हे जितना करना है अपना बाहरी।

तुंग शिखरों का यहाँ कोई ठेकेदार नहीं ,
कोई और फैसला...