तेरे हिज्र में बूड़ा हो जाना
पल पल जीना,
फिर उसी पल मर जाना,
मुझे रास ना आएगा
यूँ तेरे हिज्र में मर जाना।
सफ़ेदी धूप की नहीं,
तेरी जुदाई की है सनम,
मेरे बालों में से जो झाँकने लगी है अब,
सियाह रंग बालो में नहीं,
तेरे मिलन की रात का देखना
चाहती हूँ,
कुछ ना सही तू दिल से मुझे आवाज़ लगाना,
रास नहीं आएगा मुझे
तेरे...
फिर उसी पल मर जाना,
मुझे रास ना आएगा
यूँ तेरे हिज्र में मर जाना।
सफ़ेदी धूप की नहीं,
तेरी जुदाई की है सनम,
मेरे बालों में से जो झाँकने लगी है अब,
सियाह रंग बालो में नहीं,
तेरे मिलन की रात का देखना
चाहती हूँ,
कुछ ना सही तू दिल से मुझे आवाज़ लगाना,
रास नहीं आएगा मुझे
तेरे...