फूलों की महक
फूलों की महक
तरु की अंगड़ाई हो
ऐ अंबर तु
किस लोक से आई हो
प्रकृति के अनुपम कृति लिए
क्या रूप सजाईं हो
गगनचुंबी सितारे
परियां हरसाई हो
सुमन किरण सी
अलबेली छाई हो
अतुलित जग प्यारी
कितनी खुशीयां पाई हो
रूप रंग निखारें
चमक महकाई हो
कोमल वसुधा की नारी
किस जीव में जान...
तरु की अंगड़ाई हो
ऐ अंबर तु
किस लोक से आई हो
प्रकृति के अनुपम कृति लिए
क्या रूप सजाईं हो
गगनचुंबी सितारे
परियां हरसाई हो
सुमन किरण सी
अलबेली छाई हो
अतुलित जग प्यारी
कितनी खुशीयां पाई हो
रूप रंग निखारें
चमक महकाई हो
कोमल वसुधा की नारी
किस जीव में जान...