...

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क्यों ऐसा होता है?
क्यों हम ही मजबूत बनें?
भावनाहीन वो भूत बनें।
सच के पीछे का वो झूठ बनें।
प्यासे होते हुए भी वो ऊंठ बनें।
और याद जब उसको करें
तो आंख से पानी बन को छूट पड़े।
हर बार क्यों ऐसा होता है।
मजबूत लड़का भी आशिक़ बन रोता है।
उसकी यादों में वो ना रात भर वो सोता है।
फिर भी क्यों हम ही मजबूत बनें?
शायद तेरे कुछ ना थे
पर मां के दुलारे है हम
क्यों फिर लाश के उपर ताबूत बनें?
शायद नाजरों का भी वो धोखा था
तेरे साथ सजाया हर ख्वाब अनोखा था
धड़कन का तुझपे रुकना शायद
शायद मेरे दिल से किया गया सबसे बड़ा वो धोखा था।
Please always judge a person after their statement.🙏🙏🙏🙏
© आकाश बिष्ट