क्यों ऐसा होता है?
क्यों हम ही मजबूत बनें?
भावनाहीन वो भूत बनें।
सच के पीछे का वो झूठ बनें।
प्यासे होते हुए भी वो ऊंठ बनें।
और याद जब उसको करें
तो आंख से पानी बन को छूट पड़े।
हर बार क्यों ऐसा होता है।
मजबूत लड़का भी आशिक़ बन रोता...
भावनाहीन वो भूत बनें।
सच के पीछे का वो झूठ बनें।
प्यासे होते हुए भी वो ऊंठ बनें।
और याद जब उसको करें
तो आंख से पानी बन को छूट पड़े।
हर बार क्यों ऐसा होता है।
मजबूत लड़का भी आशिक़ बन रोता...