गहरे ज़ख्म मिले हैं जिंदगी में...।।।।
कुछ इस तरह के गहरे ज़ख्म मिले हैं जिंदगी में
उन्हें जीना नहीं हमें उनके बिना जीना नहीं
आख़िर दर्दों के सिवा क्या मिला इस बंदगी में
अस्मत लूटी जा रही है प्रेम की आड़ में
हदें लांघ दी लोगों ने दरिंदगी में
रूह से रूह का मिलन नसीब में मय्यसर नहीं
शायद कुछ कमी रह गई हमारी दिल्लगी में
मेरे अश्कों से भरा समंदर है ये...
उन्हें जीना नहीं हमें उनके बिना जीना नहीं
आख़िर दर्दों के सिवा क्या मिला इस बंदगी में
अस्मत लूटी जा रही है प्रेम की आड़ में
हदें लांघ दी लोगों ने दरिंदगी में
रूह से रूह का मिलन नसीब में मय्यसर नहीं
शायद कुछ कमी रह गई हमारी दिल्लगी में
मेरे अश्कों से भरा समंदर है ये...