सफ़र-ए-ज़िंदगी..
बिखरती रही ज़िंदगी ख्वाहिशों
की रेत पर कि
अब सुर्ख आंखें भी
वफ़ा का जहां...
की रेत पर कि
अब सुर्ख आंखें भी
वफ़ा का जहां...