आया रक्षाबंधन, चलो मनाते है राखी का त्यौहार
देख -देख श्रावण मास की हरियाली,
आया पूर्णिमा के दिन राखी का उत्सव।
चलो बांधते है अपने अनोखे भाई को राखी,
क्योंकि राखी बांधना बहनों का फर्ज़ होता है।
आरती उतारू रे मेरे प्यारे भाई,
बहना ने खिलाया अपने प्यार भरे हाथों से मिठाई ,
भाईयों सुनो जरा उपहार देना वरना बहना रूठ जाएगी।
जिस तरह कृष्ण - द्रौपदी के जैसे मनायी गयी राखी लीला,
उसी तरह हम सनातनी बहनों ने मिलकर मनायेगे...
आया पूर्णिमा के दिन राखी का उत्सव।
चलो बांधते है अपने अनोखे भाई को राखी,
क्योंकि राखी बांधना बहनों का फर्ज़ होता है।
आरती उतारू रे मेरे प्यारे भाई,
बहना ने खिलाया अपने प्यार भरे हाथों से मिठाई ,
भाईयों सुनो जरा उपहार देना वरना बहना रूठ जाएगी।
जिस तरह कृष्ण - द्रौपदी के जैसे मनायी गयी राखी लीला,
उसी तरह हम सनातनी बहनों ने मिलकर मनायेगे...