तेरा ख्याल आया है...!!
आज फिर एक ख्याल आया है,
उसमें भी तेरा ही जिक्र आया हैं,
ना जाने क्यों हैं ये बेचैनी सी इन साँसों में,
हवाओं ने भी इन पर तेरा पहरा लगाया हैं
ये दिल तेरी आंखों का कामिल हैं,
तू ही तो इस दिल का कातिल हैं
इश्क़-ए-सफऱ है तू मेरा जिसकी मैैैं मुसाफिर हूूूं ,
सफ़र भी...
उसमें भी तेरा ही जिक्र आया हैं,
ना जाने क्यों हैं ये बेचैनी सी इन साँसों में,
हवाओं ने भी इन पर तेरा पहरा लगाया हैं
ये दिल तेरी आंखों का कामिल हैं,
तू ही तो इस दिल का कातिल हैं
इश्क़-ए-सफऱ है तू मेरा जिसकी मैैैं मुसाफिर हूूूं ,
सफ़र भी...