बिखर के सम्भलना...
बिखर के सम्भलना खूब आता है
इन राहों पे चलना खूब आता है
तेरी रुख़्सती पे और तारीफ़ क्या करूँ
तुझे इश्क़ से निकलना ख़ूब आता है
हम कितने दिन बिसार देतें हैं
तेरी...
इन राहों पे चलना खूब आता है
तेरी रुख़्सती पे और तारीफ़ क्या करूँ
तुझे इश्क़ से निकलना ख़ूब आता है
हम कितने दिन बिसार देतें हैं
तेरी...