रास्ता!
हम यूहीं नहीं इश्क़ कर रहे थे
हम खुद को दोबारा जी रहे थे
हा माना स्वार्थ मेरा भी था
मगर हम कोई गुनाह तो नहीं कर रहे थे
हा माना ज्यादा सोचने लगे थे
मगर तुम्हे नजरअंदाज तो नहीं कर रहे थे
हा हमें प्यार बहुत था
मगर हम पागल तो नहीं थे
अगर हमें तोड़ना ही था
तो रास्ता दूसरा ही चुन लेते।।।
© #poetry_dil_se
हम खुद को दोबारा जी रहे थे
हा माना स्वार्थ मेरा भी था
मगर हम कोई गुनाह तो नहीं कर रहे थे
हा माना ज्यादा सोचने लगे थे
मगर तुम्हे नजरअंदाज तो नहीं कर रहे थे
हा हमें प्यार बहुत था
मगर हम पागल तो नहीं थे
अगर हमें तोड़ना ही था
तो रास्ता दूसरा ही चुन लेते।।।
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