...

10 views

तलाश है 👀
कल तलक खामोश थे लब मेरे,
आज जाने कैसे आज़ाद हैं...!
हैरानी नहीं इस बात की मुझे,
कहते अब भी नहीं साफ़ सा़फ है,
आफताब समेटे है खुद में ही,
नूर भी अब तो बेहिसाब है,
बोली के तीर, तो क्या ही कहने,
सब कहते ही हैं, क्या कमाल हैं...
गलत ना समझना मुझे तुम,
ना यूं कहना भी तुम की,
करती श्वेता तारीफ अपनी बेहिसाब है,
टूटा तारा हूं बस एक कोई,
जो दर्द लिखती सबके लाख है,
ना दौलत की चाह है मुझे,
ना हार, श्रृंगार का चाव है,
कल तलक भी थी अकेली मैं,
अब भी अकेली ये जान है,
परियों की कहानियां सुनती थी,
अब पढ़ती सबके राज़ है,
मैं नहीं कहती मैं सब जानती हूं,
पर जानती हूं जो भी कुछ,
वो सब भी सबके लिए राज़ है,
पहचान मेरी, अभी खुद से भी छिपी है,
पता नहीं, आज क्या, कल क्या,
कौन सी नई पहचान है,
ना करना तंग मुझे,
ऐ तड़प मेरी रूहों की,
डूबी हुई हूं ख्यालों में अब मैं,
नहीं जानती मैं कुछ भी,
कौन दूर, कौन खड़ा पास है,
सवालों के जवाब ढूंढती,
जिंदगी आप बनी सवाल है,
अब क्या कुछ कह दूं बारे खुद के,
जानकर किसको करनी जंग महान है,
शांत हूं अब लहरों सी में,
क्यूंकि अभी मुझे दफ़न करने को,
गमों को खुदके ही मुझे,
एक भड़कते जलजले कि तालाश है।

© a_girl_with_magical_pen