![...](https://api.writco.in/assets/images/category/big/relationship.webp)
5 views
laut aaya
और मोहब्बत तुमसे किस हद तक थी,
यकीं इसका मैं तुम्हें दिला ना पाया,
शायद इसीलिए तू मेरे हिस्से में ना आया।
चाहत तेरी कुछ इस तरह संभाले हुआ हूँ,
कि, तेरे चले जाने का एहसास आज तक मुझे छू ना पाया।
और मैं आज भी उसी मोड़ पर खड़ा हूँ,
एक रोज़, जहाँ तेरे चले जाने के बाद,
कहीं पीछे रह गया था तेरा ही साया।
इसी उम्मीद में , कि शायद ,
एक दिन उसे ढूंढते हुए , तू वापस आये,
और कहे,
कि बहुत हुआ इंतजार,
छोड़ो भी,
देखो! अब मैं लौट आया।
© midnyt_ink
यकीं इसका मैं तुम्हें दिला ना पाया,
शायद इसीलिए तू मेरे हिस्से में ना आया।
चाहत तेरी कुछ इस तरह संभाले हुआ हूँ,
कि, तेरे चले जाने का एहसास आज तक मुझे छू ना पाया।
और मैं आज भी उसी मोड़ पर खड़ा हूँ,
एक रोज़, जहाँ तेरे चले जाने के बाद,
कहीं पीछे रह गया था तेरा ही साया।
इसी उम्मीद में , कि शायद ,
एक दिन उसे ढूंढते हुए , तू वापस आये,
और कहे,
कि बहुत हुआ इंतजार,
छोड़ो भी,
देखो! अब मैं लौट आया।
© midnyt_ink
Related Stories
15 Likes
0
Comments
15 Likes
0
Comments