15 views
"पृथ्वी दिवस अप्रैल २०२४"
🌍
देख लो सुदूर, अन्तरिक्ष में कहीं,
मिलेगा न ग्रह, पृथ्वी जैसा हसीं,
फल, फूल, जल, थल, गिरि हैं यहीं
गर्मी, सर्दी, वसंत और वर्षा भी यहीं,
हुआ पैदा हर कोई, और मरा भी यहीं,
रहे राम, रहीम और कृष्ण भी यहीं,
रावण और कंस जैसे, और नहीं कहीं,
राजा हो या रंक, सबने साँस ली यहीं,
तीज, त्यौहार और युद्ध लड़े गए यहीं,
इंसानी इतिहास भी, लिखा गया यहीं,
प्रेम पाया यहीं पर, वियोग भी यहीं,
रोया है अगर कोई, तो मिली भी हँसी,
नीला-नीला सुंदर ग्रह, कोई और नहीं,
मेरा, तेरा, और सबका, घर है यहीं,
🌎
ASHOK HARENDRA
© into.the.imagination
देख लो सुदूर, अन्तरिक्ष में कहीं,
मिलेगा न ग्रह, पृथ्वी जैसा हसीं,
फल, फूल, जल, थल, गिरि हैं यहीं
गर्मी, सर्दी, वसंत और वर्षा भी यहीं,
हुआ पैदा हर कोई, और मरा भी यहीं,
रहे राम, रहीम और कृष्ण भी यहीं,
रावण और कंस जैसे, और नहीं कहीं,
राजा हो या रंक, सबने साँस ली यहीं,
तीज, त्यौहार और युद्ध लड़े गए यहीं,
इंसानी इतिहास भी, लिखा गया यहीं,
प्रेम पाया यहीं पर, वियोग भी यहीं,
रोया है अगर कोई, तो मिली भी हँसी,
नीला-नीला सुंदर ग्रह, कोई और नहीं,
मेरा, तेरा, और सबका, घर है यहीं,
🌎
ASHOK HARENDRA
© into.the.imagination
Related Stories
21 Likes
13
Comments
21 Likes
13
Comments