भीड़ की आँखें
हर चेहरे पर एक कहानी लिखी है,
भीड़ की आँखें खामोश मगर सजीव हैं।
कहीं उम्मीद, कहीं घबराहट का साया,
कहीं कोई अपने वजूद से पराया।
कंधे टकराते, मगर दिल नहीं जुड़ते,...
भीड़ की आँखें खामोश मगर सजीव हैं।
कहीं उम्मीद, कहीं घबराहट का साया,
कहीं कोई अपने वजूद से पराया।
कंधे टकराते, मगर दिल नहीं जुड़ते,...