...

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भूल गए
भूल गए वे दिन
जब मंदिर में
हर रोज़ दीप जलाने जाते थे
अब तो दीवाली पर भी
दीप जलाना भूल गए

कुमारों के घर दीवाली
ही खुशियां लाती थीं
सभी रिश्तों की गर्माहट
फिर स्थापित हो जाती थी

इन्टरनेट के जमाने में
पड़ोसी के घर तक जाना
भूल गए
अपनों को गले लगाना
भूल गए

में लिख रहा हूं
इतनी जल्दी
दीवाली पर
इसलिए,
कहीं दीवाली के
मौके पर भी
तुम इधर दिल बहलाने
ना आजाऔ
अपनो को गले लगाने
के लिए अब ना तुम
चूक जाओ

माना खुशियों के दिन
थोड़े से वे अब रूल गए
अपनों के साथ दिल लगाना
भूल गए

भूल गए वे दिन
जब चाचा चाची आते थे
मामा मामी घर पर
मिठाइयाँ देने आते थे

भूल गए वे दिन
जब मंदिर में हर रोज़
दीप जलाने जाते थे
अब तो दीवाली पर भी
दीप जलाना भूल गए

(Is baar Diwali gharwalo ke saath)
# This Diwali with family
will you accept this challenge

by decativating your account for one day, 365 din mai kya ek din apne parivar ke liye itna bhi nhi kar sakte. will you accept this challenge.

© yeshu