भूल गए
भूल गए वे दिन
जब मंदिर में
हर रोज़ दीप जलाने जाते थे
अब तो दीवाली पर भी
दीप जलाना भूल गए
कुमारों के घर दीवाली
ही खुशियां लाती थीं
सभी रिश्तों की गर्माहट
फिर स्थापित हो जाती थी
इन्टरनेट के जमाने में
पड़ोसी के घर तक जाना
भूल गए
अपनों को गले लगाना
भूल गए
में लिख रहा हूं
इतनी जल्दी
दीवाली...
जब मंदिर में
हर रोज़ दीप जलाने जाते थे
अब तो दीवाली पर भी
दीप जलाना भूल गए
कुमारों के घर दीवाली
ही खुशियां लाती थीं
सभी रिश्तों की गर्माहट
फिर स्थापित हो जाती थी
इन्टरनेट के जमाने में
पड़ोसी के घर तक जाना
भूल गए
अपनों को गले लगाना
भूल गए
में लिख रहा हूं
इतनी जल्दी
दीवाली...