ऐतबार
कुछ तो है जो छुपा रखा है
एक मुद्दत से दिल में दबा रखा है
समझ नही आता बताऊं कैसे
किसी पे इतना भरोसा दिखाऊं कैसे
दोस्त तो है कई मगर
पर नजाने क्यों उनपे ऐतबार नहीं है...
एक मुद्दत से दिल में दबा रखा है
समझ नही आता बताऊं कैसे
किसी पे इतना भरोसा दिखाऊं कैसे
दोस्त तो है कई मगर
पर नजाने क्यों उनपे ऐतबार नहीं है...