हिंदी (एक सभ्यता)
*निजता में निजता नहीं , जब भाषा का नाहीं ज्ञान*
*जो निज भाषा सीख ली , फिर जग में सब सम्मान*
जो जीना सिखादे वो होती है हिन्दी
जो भेदभाव मिटादे वो होती है हिन्दी
समाहित रखती है खुद में अन्नंत शब्दकोश
जो सबकुछ बतादे वो होती है हिन्दी
जो वीरों की गाथा सुनादे वो होती है हिंदी
जो सदभाव फैलादे वो होती है हिंदी
सुसज्जित भाव रखती है हृदय पटल पर
जो नेमी बनादे वो होती है हिंदी
जो वेदों की वाणी सुनादे वो होती है हिंदी
जो गुरुवाणी का मतलब बतादे वो होती है हिंदी
प्रकाशित करती है छिपा गहरा अर्थ खुद में
ज्ञान का दीपक जलादे वो होती है हिंदी
मात्रभूमि से जो प्यार करादे वो होती है हिंदी
अवचेतन मन का भान करादे वो होती है हिंदी
छिपाकर रखती है अनगिनत रहस्य गर्भ में
जो हर रहस्य को मिटादे वो होती है हिंदी
मेरे देश को अखंड बनादे वो होती है हिंदी
हर हृदय में सुंदरता फैलादे वो होती है हिंदी
समाहित रखती है सभी भावों और विचारों को स्वयं में
जो ममता सिखादे वो होती है हिंदी
*नमन करता हूं मै देश की माटी को , क्यूंकि वो मेरे देश की जान है*
*हिन्द का वासी मै भी , और हिंदी मेरी प्राण है*
*आकाश राघव*
© Akash Raghav