...

11 views

“Wo”
कैसा मन्ज़र था सामने मेरे
जब क़दम मैंने अपना रक्खा था
उसकी वो झील सी थीं जो आंखें
सारा दामन भिगोये बैठी थी
बेसबब ही बढ़ा मैं उसकी तरफ़
ख़ुद से जो दुश्मनी पे उतरी थी
कितनी बेदर्द आ रही थी नज़र
अपनी आंखों को साफ करती हुई



© Arshi zaib