...

12 views

"वो" हे....
में "में" नहीं
और
वो "वो" नहीं,

ना ज़माना वो हे,ना फसाना वो हे,
ना आइना वो हे,ना उस में दिखने वाला अक्स वो हे,
ना इंतजार की बेबसी वो हे,ना मिलने की बेकरारी वो हे,
ना जिंदगी जीने की चाहत वो हे, ना तुझसे "एक" होने की "आस" वो हे,
ना मुझ में दिख रही तू "वो" है,ना तुझ में दिखता "में" वो हु,

हे "वो" तो
बस....
"तुझ" को "एक नजर" देखने की चाहत वो हे

और
.
.
.
"तेरे बिना" चल रही जिंदगी "वो" हे।
© Aj's