...

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पथिक सा
में निकला पथिक सा,
तेरे पास से गुजर रहा था,
लताओं की लालिमा ,
फूलों की खुश्बू,
स्पर्श कोमल डालि सा।
कंटक के बीच तुं,
कंदराओं की नजदिक तुं,
ऊंचा तेरा ठिकाना पहाड़ सा।
ऋतुओं में ऋतुराज तुं,
वसंत की शुरुआत तुं,
पतजल में लगे घायल सा।
में निकला पथिक सा.........।
kavi Dr.mala "Sanket"
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