लोग
औरों से ख़ुद को अलग और बेहतर दिखाते हैं लोग
गवाह के शामियाने में हक़ीकत को दफ़नाते हैं लोग
किसी का घर बसे या उजड़े मगर ख़ुद के लिए ज़रूर एक महल बनाते हैं लोग
ग़लत के ख़िलाफ़ तो क्या सच का साथ देने से भी क़तराते हैं लोग
ख़ुद को भूल कर औरों की बहुत फ़िक्र करते हैं लोग
फ़िक्र है तो फिर क्यों एक दुसरे से जलते हैं लोग
बदलते वक़्त में...
गवाह के शामियाने में हक़ीकत को दफ़नाते हैं लोग
किसी का घर बसे या उजड़े मगर ख़ुद के लिए ज़रूर एक महल बनाते हैं लोग
ग़लत के ख़िलाफ़ तो क्या सच का साथ देने से भी क़तराते हैं लोग
ख़ुद को भूल कर औरों की बहुत फ़िक्र करते हैं लोग
फ़िक्र है तो फिर क्यों एक दुसरे से जलते हैं लोग
बदलते वक़्त में...