जज़्बात से आरी लोग
मुझको इस तरह़ सताते हैं चले जाते हैं
वो मेरे पास में आते हैं चले जाते हैं
तन्हा चलना ही तो दुश्वार हुआ करता है
वो जो ये बात बताते हैं चले जाते हैं
टूटते और बिखरते हैं निभाने वाले...
वो मेरे पास में आते हैं चले जाते हैं
तन्हा चलना ही तो दुश्वार हुआ करता है
वो जो ये बात बताते हैं चले जाते हैं
टूटते और बिखरते हैं निभाने वाले...