...

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प्रभु मेरे
जैसे भी हम नाथ के हैं,
कहाँ कहीँ किसी साथ के हैं,
वैसे हम तो अधम बहुत हैं,
किये काम जो दण्डनीय है,
ना जाने कितने जन्मों से,
भटक रहे प्रभु बिना ज्ञान ले,
अज्ञानी हम आज भी हों सहीं,
लेकिन सबसे ज्ञानवान हैं,
भ्रम का ये जो...