...

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घाव
कैसे सहज़ लगू
जब घाव आत्मा पर लगे

किसी के लिए,फ़ायदा खुद का देख
लोग अपने ही रिश्ते दाव पर लगाते है

सामने बड़े ही अदब से जो पेश आते है
मन मे वो ही जहर पालते है

कीमत ना हो जिसकी किसी की नज़र में
लोग,गिरते पत्तों सा कुचल के चले जाते है

यहाँ नहीं कदर किसी के प्रेम,ईमान,
और धर्म की
लोग कौड़ियो के दाम इसे बेच जाते है