...

2 views

मेरी कहानी,मेरी जुबानी
जिंदगी तू ही बता क्या चाहता है ?
क्यों मेरे जीवन से सुख यूं लापता है ?
दे रहा है क्यों मुझे दुख दर्द इतना ?
तोड़ता है क्यों मेरा हर एक सपना ?
और तू कितना सताना चाहता है?
जिंदगी तू ही बता क्या चाहता है ?

जन्म से अब तक जरा मुझको बता दे?
दुख ही दुख मुझको मिला और क्या मिला है
जनमते ही नौकरी छीनी पिता की ।
न इतर खेती के था कुछ आस बाकी।
छिन गया वो भी,तुझे तो सब पता है?
जिंदगी तू ही बता क्या चाहता है ?

जब हुए रोगी पिताजी साटिका से
तब ईलाज कराए मांँ बोलो कहाँ से
बच न पाया और कोई जब सहारा।
बिक गया ईलाज मे घर-बार सारा
और कोई जब जुगत ना काम आया
बेच सब गहने पिताजी को बचाया
कर ही लेता आदमी जब चाहता...