तुम शायरी सी हो☘️
अभी हुई है कहां मुकम्मल
ज़रा अधूरी ये आशिकी है
सुरूर हम पर चढ़ा है जिसका
ये इश्क की ही दिवानगी है
लहू से रग में उतर गए हो
हरेक धड़कन पुकारती है
लबों से छूकर है जाम पीना
बुझी नहीं मेरी तिश्नगी है
पिलाई है जो नज़र से तूने
जमीं पे मेरे कदम नहीं है
संभालो मुझको ज़रा सा दिलबर
तुम्हारी चाहत में बेखुदी है
जहां तलक भी नज़र ये जाए
ये बिखरी उल्फ़त की रोशनी है
गजल सी बनकर उतर गई जो
बयान तुझको ही कर रही है
तेरे ही दम से है मेरी दुनिया
गजल भी तुम और तुम ही शायरी हो,,
🌟☘️✨️⚘️
बस यू ही,,,