...

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तुम्हारे बिना मैं कहाँ ...
फ़िर आज मन भारी है !!
एक डर...
जैसे मैं ...सबकुछ हारने वाली हूँ!
तुम से पहले भी मैं यहीं थी !
लेकिन ...
तुम्हारे बिना, तुम्हारे बाद यहाँ ?

मुझे, मेरी "मैं " से तुमने ही तो मिलाया था!
मेरे सपनें, मेरा वजूद तुमसे जुदा कहाँ ?
जानती हूँ ... समझती हूँ ...
बहुत परेशान हो तुम, बहुत तकलीफ़ में हो तुम!
इसलिए रोकुंगी नहीं शायद...
या यूँ कहूँ ..तुम्हें रोक नहीं पाऊँगी शायद...
लेकिन ...
मेरी नम आँखों का एक वादा होगा तुमसे ..
मर जाएगी फ़िर वो मेरी "मैं " उसदिन से ।