...

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आदमी...
हर आदमी को आज बस इंसाफ चाहिए। बस चाहिए तो क्या नहीं ईमान चाहिए।।
बेईमान को भी आज बस इंसाफ चाहिए।
इंसानियत उद्धार में इनाम चाहिए।।
कायम ना आबरू को रख सका है आदमी।
फिर भी उसे इकबाल का इकरार चाहिए।।
आवाज आरजू को रख सका ना आदमी।
फिर भी उसे उस आरजू का राज चाहिए।।
इरादतन इबादत को भुलाया है आदमी।
फिर भी खुदा की उसको इनायत हीचाहिए।।
इल्जाम आदमी पर आदमी लगा रहा।
इस आरसी को भी अब इंकलाब चाहिए।। यह आदमी हर बात से इंकार कर रहा।
फिर भी उसे हर बार ही इकरार चाहिए।।
कहते विदा ही उनको ना यह संसार चाहिए।
बस चाहिए तो केवल 'इंसान' चाहिए।।...