...

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💯❤️
वो किसी की भी बाहों में बाहें डाल लेता है
वो किसी की भी निगाहों में निगाहें डाल लेता है

उससे मेरे लफ्जों का वजन नही संभाला जाता
वो हल्का फुल्का लिखकर खुद को संभाल लेता है

उसने अपने आयने पर धूल जमी है सालों से
वो दूसरो में कमियां कई लाख निकाल लेता है

जैसे उसके चरित्र तो छपा है पाक किताबो में
दूसरो के किरदार पर छीटें यूं उछाल लेता है

मेरी दी रियायतों से वो मेरे सर पर बैठ गया
उसे क्या पता के शायर जन्नत भी टाल देता है

उससे मेरे लफ्जों का वजन नही संभाला जाता
वो हल्का फुल्का लिखकर खुद को संभाल लेता है


© दीप