...

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कलम
तु निर्जीव नही
सदा सजीव है,
और अनादि भी।
तूने देखे है
सहस्त्रों वर्ष
जिन्हें तु अविरल
लिखती हुई
लाई है
वर्तमान तक।
वेदो के
ऋषि मंत्रो
से होते हैं...