...

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तमन्नाओं का शहर छोड़े हुए.......!
देखे हमने कई ख़्वाब मगर , मुकम्मल थोड़े हुए,
एक अरसा हो गया अब हमे, तमन्नाओं का शहर छोड़े हुए......

उड़ान देती जो अरमानों को , हवा वो चली गई रुख मोडे हुए ,
एक अरसा हो गया अब हमे , तमन्नाओं का शहर छोड़े हुए.....

बांधकर रखी थी थोड़ी हिम्मत जो , नसीब फिर चला गया उसे तोड़े हुए ,
एक...