ग़ज़ल : तुमसे इश्क़ मैं करता हूँ फ़क़त
तुमसे इश्क़ मैं करता हूँ फ़क़त
और कहने से डरता हूँ फ़क़त
या हँसी हो या हो हया सनम
हर अदा पे मैं मरता हूँ फ़क़त
याद कर के शब से दिन और फिर
दिन से रात मैं करता हूँ फ़क़त
ख़ौफ़ कोई नहीं है मगर तिरी
इक ख़फ़ागी से डरता हूँ फ़क़त
बख़्त मेरे सूरज से है 'क़फ़स'
रोज़ बस जला करता हूँ फ़क़त
*
बहर : मुतदारिक मुरब्बा मुख़ला मुज़ाफ़
अरकान : फ़ाइलुन फ़अल फ़ाइलुन फ़अल
तक़्तीअ : २१२ १२ २१२ १२
© 'क़फ़स'
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#poetry #LifeQuite #writcoapp #love #quote #life #Shayari #Hindi
और कहने से डरता हूँ फ़क़त
या हँसी हो या हो हया सनम
हर अदा पे मैं मरता हूँ फ़क़त
याद कर के शब से दिन और फिर
दिन से रात मैं करता हूँ फ़क़त
ख़ौफ़ कोई नहीं है मगर तिरी
इक ख़फ़ागी से डरता हूँ फ़क़त
बख़्त मेरे सूरज से है 'क़फ़स'
रोज़ बस जला करता हूँ फ़क़त
*
बहर : मुतदारिक मुरब्बा मुख़ला मुज़ाफ़
अरकान : फ़ाइलुन फ़अल फ़ाइलुन फ़अल
तक़्तीअ : २१२ १२ २१२ १२
© 'क़फ़स'
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