ग़ज़ल : तुमसे इश्क़ मैं करता हूँ फ़क़त
तुमसे इश्क़ मैं करता हूँ फ़क़त
और कहने से डरता हूँ फ़क़त
या हँसी हो या हो हया सनम
हर अदा पे मैं मरता हूँ फ़क़त
याद कर के शब से दिन और फिर
दिन से रात मैं करता हूँ फ़क़त
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और कहने से डरता हूँ फ़क़त
या हँसी हो या हो हया सनम
हर अदा पे मैं मरता हूँ फ़क़त
याद कर के शब से दिन और फिर
दिन से रात मैं करता हूँ फ़क़त
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