...

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मां
चलने से लेकर पड़ना भी सिखाया ,
अपने हाथो से मां ने खाना खिलाया,
क्या अच्छा है क्या बुरा ये भी बताया ,
खुद दर्द में रहकर खुसियो को जताया।

खुद की साड़ी की याद नही रहती ,
बच्चो की पढ़ाई के लिए सदा खड़ी रहती ,
गहने की भी वह फिक्र नहीं करती ,
अगर बच्चे को कही जरूरत है पड़ती।

प्यार की चक्कर में कुछ मां को ही भूल जाते ,
जैसे कुछ नही किया ऐसा है जताते ,
बच्चा मेरा खुशी रहे यही है चाहती,
और दुनिया वालो को मेरा बच्चा बहुत अच्छा है यही है बताती ।