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मखमली हूं!
मधुर मैं कोई संगीत तो नहीं,
मगर तू सुन ले तो साज मखमली हूं।
खुरदन है देह में उम्र की अब कुछ,
मगर तू छू ले तो एहसास मखमली हूं।
कठिन है डगर पहुंचने की मुझ तक,
मगर तू चुन ले तो ख़्वाब मखमली हूं।
आसान नहीं है पढ़ना ज़िंदगी को मेरी,
मगर तू समझ ले तो किताब मखमली हूं।
अधूरा हूं उस चांद सा सितारों के बीच,
मगर तू देख ले तो रात मखमली हूं।
थमेगा नहीं प्रतीक के शब्दों का यह सिलसिला,
मगर तू समेट ले तो रुहात मखमली हूं।
© Prateek Bhardwaj ✍️
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मगर तू सुन ले तो साज मखमली हूं।
खुरदन है देह में उम्र की अब कुछ,
मगर तू छू ले तो एहसास मखमली हूं।
कठिन है डगर पहुंचने की मुझ तक,
मगर तू चुन ले तो ख़्वाब मखमली हूं।
आसान नहीं है पढ़ना ज़िंदगी को मेरी,
मगर तू समझ ले तो किताब मखमली हूं।
अधूरा हूं उस चांद सा सितारों के बीच,
मगर तू देख ले तो रात मखमली हूं।
थमेगा नहीं प्रतीक के शब्दों का यह सिलसिला,
मगर तू समेट ले तो रुहात मखमली हूं।
© Prateek Bhardwaj ✍️
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