कभी फुरसत मिले तो....
मेरी चिट्ठी पड़ी होगी तेरे किसी किताब में
कभी फुरसत मिले तो चूम लेना।
तेरे घर की गली में बिखर चुका हु में
कभी फुरसत मिले तो चून लेना।
तु जब पलटी थी अलविदा कहकर तब आँखो में सुखा और दिल में समंदर था आँसुओ का,
एक धुन यू ही गुनगुनाकर छोड़ दी थी मैंने
कभी फुरसत मिले तो सुन लेना।
© Hayati
कभी फुरसत मिले तो चूम लेना।
तेरे घर की गली में बिखर चुका हु में
कभी फुरसत मिले तो चून लेना।
तु जब पलटी थी अलविदा कहकर तब आँखो में सुखा और दिल में समंदर था आँसुओ का,
एक धुन यू ही गुनगुनाकर छोड़ दी थी मैंने
कभी फुरसत मिले तो सुन लेना।
© Hayati