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कागज पर कलम से
विषय :- कागज पर कलम से

कोरे "कागज पर कलम" से
जो लिखा हाल -ए- दिल अपना..
स्याही भी शरमा गई पढ़कर
और धड़का बैठी खुद अपना जिया..

मोहब्बत को वह पगली बखूबी जो समझती थी वो
कई लोगों की मोहब्बत -ए- दास्तान जो लिखी थी वो...

हां ... !! लिखे थे, कई अफसाने उसने अपने रंग से
तो कभी लिख बैठी गम-ए-हिज्र पंख में लेकर अपने ही रंग से..

खिलती हुई तो वह तब नज़र आती थी
जब लिखतीं थी इतिहास-ए-मोहब्बत अपने रंग से..
तड़प और बेरंग हो जाती थी
जब लिखी थी अफसाने "शालिनी" गम-ए-हिज्र के...💔

द्वारा :-शालिनी सकलानी✍️✍️✍️

© Shalini Saklani ✍️ shaivali