चिन्तन
एक दिन मन ने सोचा
कुछ चिन्तन किया जाए
कैसे छुपाती है मां हर दर्द
आज पता लगाया जाए,
खूब बहलाया बातों से
खूब ही लाग लपेट करी
क्या मजाल है भाया रे
एक बात ना पता लगी ,
देखा कई बार उसे मैंने
पल्लू से आंसू पौंछते हुए...
कुछ चिन्तन किया जाए
कैसे छुपाती है मां हर दर्द
आज पता लगाया जाए,
खूब बहलाया बातों से
खूब ही लाग लपेट करी
क्या मजाल है भाया रे
एक बात ना पता लगी ,
देखा कई बार उसे मैंने
पल्लू से आंसू पौंछते हुए...