...

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जिंदगी मुफ़लिसी में लाचार लगती है
कभी तेज धूप कभी बारिश का बाज़ार लगती है,
ये जिंदगी अपनी होकर भी हमें उधार लगती है||

कहीं फैलाता है कोई चैन -ओ-अमन वतन में,
कही जिंदगी बस आतंक का व्यापार लगती है||

है किसी के पास बेशुमार धन-दौलत और रूतबा,
कहीं किसी की जिंदगी मुफ़लिसी में लाचार लगती है||

मोहब्बत की जरूरत है फ़िज़ाओ को 'कुमार',
पर जिंदगी मुझे नफ़रतों में गिरफ़्तार लगती है||

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© Kumaarkikalamse