जिंदगी मुफ़लिसी में लाचार लगती है
कभी तेज धूप कभी बारिश का बाज़ार लगती है,
ये जिंदगी अपनी होकर भी हमें उधार लगती है||
कहीं फैलाता है कोई चैन -ओ-अमन वतन में,
कही जिंदगी बस आतंक का व्यापार...
ये जिंदगी अपनी होकर भी हमें उधार लगती है||
कहीं फैलाता है कोई चैन -ओ-अमन वतन में,
कही जिंदगी बस आतंक का व्यापार...