...

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हारने के बाद फिर खड़े हुए हैं
हार के हमने भी कसम ये खाई है,
फिर से खड़े होने की रहमत पाई है।

गिर के उठना फ़ितरत-ए-इंसान है,
राह-ए-ख़ुदा में भी ये सच्चाई आई है।

ज़िन्दगी की राह में गर अंधेरा है,
ख़ुदी की रोशनी फिर चमकाई है।

ग़म-ओ-ख़ुशी तो बस सफ़र...