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सपना और दुःस्वप्न
#सपनेऔरदुःस्वप्न

चांदनी रात में
हल्की हल्की सी बौछार में
मै झरोखों से झांक रही हूं
मिट्टी की सौंधी सी खुश्बू
मुझे अपनी ओर खींच रही है
और मैं रोक नही पाई अपने कदमों को

मै बाहर निकल आई हूं
इस बरसात की रात में
बारिश की बूंदे मुझे तरबतर कर रही हैं
और मैं पूरी तरह सराबोर हूं इस बरसात में
भींग रहा है आंचल मेरा
और मैं झूम रही किसी मोरनी सी

कि सहसा ही
किसी ने जोर से मेरा हाथ खींचा
मैने पीछे...